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Kyo

Kyo

मंजिलों के दो राह पर खड़ा हूं आज क्यों

सफ़र चल रहा है मैं रुका हूं आज क्यों

जेब भरी नहीं है नज़र अंदाज कर रहे लोग आज क्यों

रिश्तों में नोटो कि गांठ लग रही आज क्यों

कुछ करना चाहता हूं कुछ बनने की ख्वाइश आज क्यों

जीवन नहीं जी रहा हूं घृणा के मैदान में खड़ा हूं आज क्यों

चलाना चाहता हूं चप्पल टूट गए आज क्यों

थोड़ा उठा हू खड़ा हूं दुनिया आशाओं से दबा रही आज क्यों

अभी थोड़ा और जीना चाहता हूं जिम्मेदारियां आज क्यों

दक्षल कुमार व्यास

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Dakshal Kumar Vyas

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ह्रदय ज्वाला रूप शब्दों के संग्रह में स्वागत है

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Dakshal Kumar Vyas

कवि कम क्रांतिकारी दक्षल कुमार व्यास सर्वप्रथम राष्ट्र की भावना लिए कर्म पथ पर अग्रसर है और इन की किताब समाज और मैं भी प्रकाशित हुई है।