.उड़ता सा जा रहा हूं इस बढ़ती दुनियां में गुम ता सा जा रहा हूं इस भटकती दुनियां में नही मिल रही मंजिल इस स्वार्थी दुनियां में स्वाभिमान की लड़ाई में दुनिया की ठोकरें खा रहा हू अहिंसा के पथ पर चोट खां रहा हू हिंसा की राह पर बदनामी की भेट मिल रहीं खुद बदल कर दुनियां बदल ने चला खो बैठा हु ईमानदारी ,स्वाभिमान , न्याय, धर्म जी रहा हू भ्रष्टाचार , बेइमान ,अन्याय, अधर्म, की जिंदगी मैं मैं। :-दक्षल कुमार व्यास
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